Wednesday 1 March 2017

टाइम ट्रेवल करने वाले व्यक्ति प्रूफ के साथ | Time Travellers with Proof | Persons Travel Through Time with Proof | टाइम ट्रेवल की रहस्यमयी घटनाएं

टाइम ट्रेवल करने वाले व्यक्ति प्रूफ के साथ
दोस्तों समय एक ऐसी प्रक्रिया है जो निरंतर चलती है और हम भी समय के साथ आगे बढ़ते रहते है, लेकिन कोई भी ना तो समय की गति को बदल सकता है और ना ही उसे रोक सकता है. लेकिन एक सवाल हमारे मन में अनेकों बार बात आता है कि क्या कोई समय में पीछे या फिर भविष्य में आगे जा सकता है?

इस सवाल के जवाब में हर देश के वैज्ञानिक सालों से मेहनत और रिसर्च कर रहे है और अरबों रूपये तक खर्च कर चुके है, लेकिन आज भी इसी गुत्थी में उलझे हुए है कि क्या सच में टाइम ट्रेवल पॉसिबल है अगर हाँ तो कैसे?

टाइम ट्रेवल का विषय ही इतना ख़ास है कि इसपर दुनिया भर में अनेक फिल्में, टीवी शोज और पुस्तकें लिखी जा चुकी है. इसी बीच कुछ लोग ऐसे भी मिले है जो दावा करते है कि उन्होंने टाइम ट्रेवल किया है मतलब कि वे समय में आगे या पीछे गए है, यही नहीं उन्होंने इस बात के सबूत भी दिए है. इसके अलावा कुछ वैज्ञानिक ऐसे भी है जो ये कहते है कि उन्होंने टाइम ट्रेवल की गुत्थी को सुलझा लिया है किन्तु वे अभी अपने एक्सपेरिमेंट के नतीजों को आम जनता के सामने नहीं ला सकते.

आज हम आपको कुछ ऐसे ही लोगों से मिलायेंगे जो टाइम ट्रेवल को अनुभव करने का दावा करते है या फिर जिन्होंने टाइम ट्रैवलर को देखा है.

एक आदमी जो खुद से ही मिला :
The Men Who Just Met with an Older Version of Himself :
जी हाँHåkan Nordkvist का कहना है कि एक बार उनके किचन का नल खराब हो गया तो वो पानी के रिसाव को चेक करने के लिए पानी की कैबिनेट में अंदर चले गये. कैबिनेट के अंदर कुछ दूर चलने पर उन्हें दूसरी तरफ हकान को एक चमकदार रोशनी दिखाई दी. उन्होंने उस रोशनी की तरफ बढ़ने का फैसला किया. जैसे ही वे रोशनी में इंटर हुए उन्होंने महसूस हुआ कि वे फ्यूचर में पहुँच गये है.
टाइम ट्रेवल करने वाले व्यक्ति प्रूफ के साथ
टाइम ट्रेवल करने वाले व्यक्ति प्रूफ के साथ

अपने इंटरव्यू के दौरान उन्होंने अपनी इस घटना को बताते हुए दावा किया कि उनके किचन में एक वर्म होल था और वे उस होल से 2042 में पहुँच गये थे. यही नहीं उन्होंने कहा कि वो वहां भविष्य के हकान यानि के खुद से ही मिले थे
, उस वक़्त उनकी आयु लगभग 70 वर्ष हो चुकी थी. तो आइये अब हकान के इंटरव्यू की इस विडियो को देखते है.

हकान ने भविष्य के हकान से कुछ ऐसी पर्सनल बाते पूछी जो सिर्फ उन्हें ही पता थी, साथ ही उन्होंने अपने दाहिने हाथ के टटू को भी मैच किया जोकि बिलकुल उनके हाथ पर बने टटू जैसा था. लेकिन कुछ लोग उनके दावों को सिरे से नकारते है लेकिन हकान का कहना है कि लोग उनके बारे में चाहे कुछ भी कहे लेकिन उन्होंने इस घटना को जिया है इसलिए उन्हें लोगों के कुछ भी कहने की कोई परवाह नहीं है.

सर विक्टर गोडार्ड :
Sir Victor Goddard’s  Time Slip Adventure :
ब्रिटिश रॉयल एयर फ़ोर्स के एयर मार्शल सर विक्टर गोडार्ड 1935 में अपने ओपन कॉकपिट बायप्लेन में छुट्टियाँ मनाने के लिए स्कॉटलैंड से इंग्लैंड की तरफ जा रहे थे. रास्ते में उन्होंने स्कॉटलैंड के Drem Airfield को नोटिस किया जिसका रनवे बिलकुल उजाड़ हो चूका था, पहले रखने वाले शेड भी टूटे हुए थे, रनवे के दोनों तरफ घास ही घास थी और कुछ जानवर वहां घूम रहे थे.

छुट्टियाँ खत्म होने के बाद सर विक्टर इसी रूट से वापस आ रहे थे कि अचानक वहां एक तूफ़ान आ गया जिसके कारण सर गोडार्ड प्लेन से अपना नियंत्रण खोने लगे. लेकिन जैसे ही वे Drem Airfield के पास पहुंचे तूफ़ान अपने आप छट गया और अब जो उनके सामने नजारा था उसने सर विक्टर गोडार्ड को भोचक्का ही कर दिया क्योकि जिस Drem Airfield को कुछ दिन पहले उन्होंने उजाड़ देखा था उसका नजारा पूरी तरह से बदल चुका था. ऐसा लग रहा था कि Drem Airfield को फिर से बनाया गया है और वो भी नयी तकनीक का इस्तेमाल करके. उन्होंने देखा कि रनवे बिलकुल नया बना हुआ है, प्लेन को रखने वाले हेंगर भी बिलकुल नये थे, इसके अलावा वहां 4 प्लेन थे जिनकों पीले रंग से रंग गया था. इन 4 प्लेन में 1 मोनों प्लेन भी था लेकिन हैरत की बात ये थी कि उस वक़्त रॉयल एयर फ़ोर्स के पास मोनो प्लेन थे ही नहीं. यही नहीं उनका कहना था कि वहाँ ब्लू ड्रेस में कुछ लोग खड़े थे, इसमें भी अचम्भे की बात ये है कि उस वक़्त रॉयल एयर फ़ोर्स की ड्रेस का रंग भूरा हुआ करता था.
Time Travellers with Proof
Time Travellers with Proof

इन सब चीजों को देखकर सर गोडार्ड ने वहां अपने प्लेन को लैंड नहीं किया क्योकि उनको वो जगह बहुत ही रहस्यमयी लगी. वहां से निकलते वक़्त फिर वे एक तूफ़ान में फंसे और लेकिन इस बार सब सामान्य हो गया. सर विक्टर गोडार्ड जब वापस स्कॉटलैंड पहुंचे तो उन्होंने सभी को इस घटना के बारे में बताये लेकिन उनकी बात पर किसी को विशवास नहीं हुआ. लोगों का मानना था कि सर कहीं भटक गए थे. किन्तु सबसे अधिक चौका देने वाली बात तो ये थी कि इस घटना के 4 साल बाद
 Drem Airfield को फिर से Renovate किया गया, वहाँ हर प्लेन को पीला रंग किया गया, प्लेन को रखने के लिए नए शेड बनाये गये, मोनों प्लेन को भी फ़ोर्स में शामिल किया गया और ऑफिसर्स की ड्रेस का कलर भी नीला कर दिया गया. अब इतना सटीक संयोग होना कोई आम बात तो है नहीं तो क्या सर विक्टर गोडार्ड ने सच में टाइम ट्रेवल किया था?

फ़िलेडैल्फ़िया एक्सपेरिमेंट :
Philadelphia Experiment :
सन 1943 मेंUS Navy ने अपने एक USS Eldridge जहाज पर एक एक्सपेरिमेंट किया था. इस एक्स्पेर्मेंट को Philadelphia के नेवी यार्ड में ही किया गया. इस एक्सपेरिमेंट का लक्ष्य था कि एक ऐसी तकनीक खोजी जाए जिसकी मदद से US Navy बिना किसी सोनार और रेडार की पकड़ में आये एक स्थान से दुसरे स्थान पर पहुँच जाए.

माना जाता है कि इस एक्सपेरिमेंट में US Navy सफल भी हो गयी थी और उनका वो जहाज कुछ पहल में ही फ़िलेडैल्फ़िया के यार्ड से गायब मतलब टेलिपोर्ट होकर 700 मील दूर नोरफ़ॉल्क वर्जिनिया पहुँच गया था. लेकिन इस एक्सपेरिमेंट के परिणाम बहुत घातक निकले क्योकि कहा जाता है कि इस एक्सपेरिमेंट के दौरान जहाज के क्रू मेम्बेर्स ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया. कुछ जहाज के धातु में ही घुस गये, मतलब उन्हें देखने पर ऐसा लग रहा था की मानों वे जहाज के पिघले हुए धातु में घुसे व फंसे हुए हो. वहीँ कुछ ऐसे लोग भी थे जो गायब ही हो गये थे और उन्हें घटना के बाद भी कभी नहीं देखा गया.

लेकिन US Navy हमेशा से ही इस एक्सपेरिमेंट को नकारती आ रही है और कह रही है कि उन्होंने कभी ऐसा एक्सपेरिमेंट किया ही नहीं, पर कुछ लोग ऐसे भी है जिन्होंने कहा कि उन्होंने इस एक्सपेरिमेंट को अपने आँखों से देखा था.
टाइम ट्रेवल की रहस्यमयी घटनाएं
टाइम ट्रेवल की रहस्यमयी घटनाएं

द क्रोनिकल्स ऑफ़ बसिअगो :
The Chronicles of Basiago :
Sir Andrew D. Basiago ने सन 2004 में कुछ बेहद ही हैरान कर देने वाले तथ्यों का खुलासा किया और बताया कि वे US Govt. द्वारा संचालित एक सीक्रेट टाइम ट्रेवल प्रोजेक्ट का हिस्स रहे थे. इस सीक्रेट प्रोजेक्ट का नाम प्रोजेक्ट पेगासस Project Pegasus रखा गया था.

बसिअगो का कहना है कि जब वे 7 साल के थे तो उन्हें सन 1968 से लेकर 1972 के बीच कई बार समय में पीछे भेजा गया. यही नहीं उनका कहना है कई इस प्रोजेक्ट में उनके अलावा भी कई बच्चों को शामिल किया गया था.

एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि उन्हें सन 1863 में भी भेजा गया जहाँ अब्राहम लिंकन अपनी स्पीच भी दे रहे था. साबुत के तौर पर उन्होंने उस वक़्त की एक तस्वीर भी दिखाई. यही नहीं बसिअगो को कई बार लाइ डिटेक्टर मशीन से भी गुजरना पड़ा. लेकिन हर बार यही पाया गया कि वो सच बोल रहे थे.

तो दोस्तों ऐसी ही रहस्यमयी और चौका देने वाली जानकारियों को लगातार पाने के लिए आप हमारे साथ बने रहे.

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