दोस्तों आपने भी सूना
होगा कि हिस्ट्री अपने आप को दोहराती है या समय का पहिया गोल है. अगर इस बात को
सच माना जाए तो समय के साथ हम समय के पहिये के एक पॉइंट पर दोबारा जरुर पहुँचते
है. मतलब जो पहले हो चूका है हम फिर वहीँ पहुँच जायेंगे और जो अब होगा वो फिर से
बीती बात बन जायेगी और फिर से उसे दोहराया जाएगा. इस तरह हम अपने आज में ही बीते
हुए कल के अनसुलझे सवाओं के जवाबों को ढूंढ सकते है. आप डायनासोर का ही उदाहरण
ले सकते हो, वैज्ञानिकों
का कहना है कि अगर डायनासोर का DNA मिल
जाए तो दोबारा से उन्हें अस्तित्व में लाया जा सकता है और इस तरह धरती पर एक बार
फिर डायनासोर होंगे.
आज हम आपको
ऐसे ही तथ्यों के बारे में बताएँगे, जिनको जानकर आप भी मान जाओगे कि जो अब हो रहा है वो
पहले भी हो चुका है. इन झलकियों को देखकर आपको लगेगा कि धरती अपने आप को दोहरा रही
है.
अजीब अनसुलझे रहस्य लेकिन 100% सच |
God in Spaceship
बाइबिल के अनुसार जब गॉड
धरती पर आये थे तो वे एक ऐसे पहाड़ से आये थे जिसमें से धुँआ और आग निकल रही थी. साथ ही बाइबिल में ये भी लिखा है कि उस पहाड़ में
से झरने के जैसी आवाज भी आ रही थी. अब इन बातों से ये अनुमान लगाया जा सकता है कि गॉड
किसी बड़े स्पेसशिप में आये थे और उन्होंने धरती पर वर्टीकल लैंड किया होगा. क्योकि
आपने भी देखा होगा कि आज के स्पेसशिप भी जब टेकऑफ या लैंड करते है तो उनमे से भी
आग और धुँआ बहुत निकलता है साथ ही इनमे से भी झरने के जैसी आवाज आती है और इनमे एस्ट्रोनॉट ट्रेवल भी करते है. अब हम सब तो स्पेसशिप के
बारे में जानते है लेकिन खुद सोचों कि जब उस वक़्त के आदिवासी लोगों के सामने ऐसा
हुआ होगा और उनके सामने एस्ट्रोनॉट उस आग में से निकले होंगे तो उन्हें तो यही
लगा होगा कि इस तरह भगवान आये थे और ऐसा
ही उन्होंने अपने Scriptures में लिखा और दीवारों व
मूर्तियों पर छापा.
Proofs of Ancient
Astronauts :
हजारों साल पुरानी ऐसी
कुछ मूर्तियाँ भी मिली भी है जिनमे हमारे पूर्वजों ने दिखाया है कि भगवान जब आये
थे तो वे किस तरह दीखते थे. उन मूर्तियों को देखकर कोई भी इस बात का अंदाजा
लगा सकता है कि वे मूर्तियाँ आज के एस्ट्रोनॉट के जैसी दिखती है. इससे ये सिद्ध होता है कि हजारों साल पहले भी
एस्ट्रोनॉट हुआ करते थे और वे उस वक़्त भी उस तकनीक के बारे में जानते थे जिनके बारे में आज हम जान रहे है या यूँ कहें कि
हम उस वक़्त कि तकनीक को दोहरा रहे है.
अब आप सोच रहे होंगे कि
अगर स्पेसशिप और रोकेट थे तो प्लेन भी जरुर रहे होंगे. तो हाँ और इस बात का साबुत
साउथ अमेरिका के कोलंबिया में मौजूद है, जहाँ धातु की बनी कुछ ऐसी चीजें मिली है जो दिखने
में बिलकुल आज के सामान्य और लड़ाकू विमान की तरह दिखाई देते है. माना जाता है इन आकृतियों को कुम्बिया सभ्यता ने
आज से हजारों साल पहले बनाया था. आज के वैज्ञानिकों ने उन आकृतियों के बड़े मॉडल
बनाये और उनमे इंजन लगाया ताकि ये जाना जा सके कि क्या वे सच में उड़ सकते है? वैज्ञानिकों के इस एक्सपेरिमेंट ने उन्हें हैरान कर दिया क्योकि उन
आकृतियों के वे बड़े मॉडल उड़ सकते थे.
सिर्फ कुम्बिया सभ्यता ही
नहीं बल्कि Egypt के एक मंदिर में भी कुछ ऐसी नक्काशी मिली है
जिसमें आप साफ़ साफ़ हेलीकाप्टर, नाव, छोटे
जहाज और पनडुब्बी देख सकते हो. इस मंदिर की ये नक्काशियाँ भी हजारों साल पुरानी
है.
इनके अलावा कुछ सभ्यता ये
दावा करती है कि भगवान किसी उडती हुई पारदर्शी गोलकार चीज में बैठे धरती पर आये
थे. हालाँकि उन सभ्यताओं के पास इसके चित्र मौजूद नहीं
है लेकिन अगर हम आज के हेलीकाप्टर में बैठकर ऐसे लोगों के सामने जाएँ जो हमारी
तकनीक से हजारों साल पीछे हो तो उन्हें वैसा ही लगेगा जैसा उस वक़्त की सभ्यता के
लोगों को लगा.
Ajib Ansuljhe Rahasya Lekin 100% Sach |
Runways of God’s Plane
and Spaceship :
सिर्फ रोकेट, स्पेसशिप, प्लेन
और हेलीकाप्टर ही नहीं बल्कि इनके रनवे भी मिले है. जी हाँ दक्षिण अमेरिका में ऐसे हजारों साल पुराने रनवे मिले है
जिन्हें नाजका लाइन्स के नाम से जाना जाता है, इन लाइन्स में से बहुत सी लाइन रनवे की तरह दिखती
है.
Antikythera Mechanism
and Ancient Laptop Proof :
अब आपको ले चलते है ग्रीस
के एक आइलैंड एंटीकायठेरा पर, जहाँ सन 1901 में एक डूबे हुए जहाज का मलबा मिला. इस मलबे से एक ऐसा लकड़ी का बक्सा मिला जिसमें आज से हजारों साल
पुराना एनालॉग कंप्यूटर भी मिला. इस कंप्यूटर को बाद में एंटीकायठेरा मैकेनिस्म का
नाम दे दिया गया. कहा जाता है कि ग्रीक के वैज्ञानिकों ने उस समय
में इस कंप्यूटर को तैयार किया था. सिर्फ कंप्यूटर ही नहीं बल्कि हजारों साल पहले
लैपटॉप भी हुआ करते थे. जी हाँ, कैलिफ़ोर्निया के मलिबू के Jay Paul Getty Museum में एक ऐसी ऐतिहासिक मूर्ति
मिली है जिसमें एक महिला बैठी हुई है और उसके सामने एक छोटी लड़की एक ऐसे बक्से को
लेकर कड़ी है, जिसे वो महिला खोल रही है. इस मूर्ति को देखने
पर लगता है कि वो बक्सा एक लैपटॉप है और वो महिला लैपटॉप की स्क्रीन को देख रही
है. इस तस्वीर में सबसे रोचक बात ये है कि उस बक्से में नीचे 2 छेद भी दिए हुए है
जैसेकि वे USB पोर्ट हो.
Nuclear Explosion in Ancient Times :
अब जब इन सभी तथ्यों को जोड़ दिया जाए तो आप
पाओगे कि जो आज हो रहा है वो तो आज से हजारों साल पहले भी हो चुका है और अब समय एक
बार फिर से खुद को दोहरा रहा है. लेकिन अब ये सवाल उठता है कि अगर पहले भी ये सब
चीजें थी तो वो कहाँ गयी. इसका जवाब भी हमारे आज में ही है, जी हाँ जिस तरह आज हमारे पास एटम
बम है ठीक इसी तरह हजारों साल पहले भी ऐसे घातक हथियारों हुआ करते थे जो पल भर में ऐसी तबाही ला सकते है जिसके बाद कुछ
भी ना मिले. इस बात के तथ्य भी मिले है, एक शोध के अनुसार तो आज से 60 हजार साल पहले एक ऐसा
नुक्लीयर एक्सप्लोजन हुआ था जिसके कारण हरप्पा और मोहनजोदड़ो जैसी विशाल सभ्यताएं खत्म हुई थी. आज
भी वहाँ उस नुक्लीयर एक्सप्लोजन के रेडिएशन को नापा जा सकता है. ऐसे ही हथियारों का जिक्र महाभारत और विश्वभर के
ग्रंथों में मिलते जो एक ही बार में सब कुछ खत्म कर सकते थे.
May be Pyramids are Time
Capsule
इन सब बातों को ध्यान में
रखते हुए ही कुछ वैज्ञानिकों ने आज के सभी तथ्यों को टाइम कैप्सूल के जरिये धरती
के नीचे (Steinbach Time Capsule) छिपा दिया है माना जाता है कि ये टाइम कैप्सूल नुक्लीयर एक्सप्लोजन को भी झेलने
में सक्षम है और आज के तथ्य सुरक्षित बच जायेंगे.
Strange Unsolved Mysteries But 100% True |
अब जब हम ऐसा सोच सकते है तो क्या हजारों साल पहले के आधुनिक वैज्ञानिकों ने ऐसा नहीं सोचा होगा? लेकिन अब नया सवाल ये आता है कि आखिर उनका टाइम कैप्सूल कहा है जहाँ उन्होंने अपने तथ्यों को सुरक्षित और युद्ध के एरियाज से दूर रखा होगा. ऐसे में सबसे पहले पिरामिड की याद आती है क्योकि वे भी ऐसी जगह बने हुए है जहाँ कोई आबादी नहीं है और कहा तो ये भी जाता है कि पिरामिड पर भी नुक्लीयर एक्सप्लोजन का कोई असर नहीं होगा. तो क्या पिरामिड भी टाइम कैप्सूल है?
इन सब बातों से ये
निष्कर्ष निकलता है कि पहले भी विश्व युद्ध हुए है जिसमें सब कुछ नष्ट हो गया अगर कुछ बचा तो जंगलों के आदिवासी जिन्होंने सब
कुछ देखा होगा या सूना होगा और शायद उन्ही आदिवासियों से हम विकसित हुए.
इसी तरह आज हमारे पास भी
ऐसे हथियार है जो सब कुछ नष्ट कर सकते है और अगर एक बार फिर विश्व युद्ध हुआ तो सब
कुछ खत्म हो जाएगा, फिर हजारों साल तक धरती पर सुनसान हो जायेगी. हमारे अवशेष धरती में समा जायेंगे, टाइम कैप्सूल में तथ्य बंद पड़े
रहेंगे और फिर से जंगलों और आदिवासियों से एक नयी सभ्यता जन्म लेगी. इस तरह एक बार फिर से समय के पहिये का एक चक्र
पूरा होगा, फिर से
एक अंत के बाद एक शुरुआत होगी, समय खुद को दोहराएगा और फिर से कल के ऐसे अनसुलझे सवाल होंगे जिनके
जवाब उस नयी सभ्यता के आज में होंगे जैसे हमारे आज में छिपे है बीते हुए कल के
जवाब.
तो दोस्तों ऐसी ही रहस्यमयी और चौका देने वाली जानकारियों को लगातार पाने के लिए आप हमारे साथ बने रहे और कमेंट के जरिये अपने सुझाव और विचार भी जरुर साझा करें.
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