Friday 31 March 2017

5 प्राचीन लुप्त अविष्कार जिन्हें हम दोबारा नहीं बना पाये | 5 Prachin Lupt Avishkaar Jinhe Hum Dobara Nahi Bana Paye | 5 Ancient Lost Inventions Which we Could not Make Again

5 प्राचीन लुप्त अविष्कार जिन्हें हम दोबारा नहीं बना पाये
दोस्तों आज के आधुनिक यूग में मानव रोज नए नए आविष्कार कर रहे है जो हमारी सभ्यता को और भी तेजी से आगे बढ़ा रहे है. ऐसे में जब हम अपने इतिहास पर नजर डालते है तो पाते है कि पहले इंसान विज्ञान जगत में कितना पीछे था और तकनीक के अभाव में उन्हें कितना कठिन और साधारण जीवन जीना पड़ा. लेकिन ऐसा नहीं है क्योकि प्राचीन काल में भी मनुष्यों ने ऐसी खोजें और आविष्कार किये है जिन्हें आज का आधुनिक मनुष्य अब तक नहीं बना पाया है. आज हम आपको ऐसे ही 5 अविष्कारों के बारे में बताएँगे जो समय के साथ खो गये है और जिन्हें हम आज के आधुनिक युग में अब तक नहीं बना पाए है.
5 प्राचीन लुप्त अविष्कार जिन्हें हम दोबारा नहीं बना पाये
5 प्राचीन लुप्त अविष्कार जिन्हें हम दोबारा नहीं बना पाये
#1
Greek Fire  or Liquid Fire :
पूर्वी रोमन एम्पायर जिसे Byzantine Empire के नाम से भी जाता है, वे 7वीं से 12वीं शताब्दी तक युद्ध में एक रहस्यमयी हथियार का इस्तेमाल करते थे जिसे The Greek Fire or Liquid Fire कहते है. इस हथियार को Syria के एक मिलिट्री इंजिनियर क्लिनिकोस Kallinikos ने बनाया था. The Greek Fire से एक ऐसा तरल पदार्थ निकलता था जो आग की लपटों से भरा होता था. इस हथियार में से निकलने वाली आग की ख़ास बात ये थी कि वो पानी पर भी चलती थी और इसे सिर्फ सिरके या फिर मिटटी से ही भुझाया जा सकता था. साथ इस आग को बनाने का तरीका सिर्फ कुछ ख़ास लोगों को ही पता था और इसलिए समय के साथ The Greek Fire को बनाने का तरिका लुप्त हो गया. हालाँकि कुछ लोगों ने The Greek Fire को बनाने की कोशिश की भी है लेकिन उनकी कोशिश सफल नहीं हो पायी.

#2
Vitrum Flexile :
काँच के 2 गुण होते है पहला तो ये आसानी से टूट जाता है और दूसरा ये पारदर्शी होता है, हालाँकि अब हमने कुछ ऐसे काँच बना लिए है जो आसानी से नहीं टूटते, जिनका इस्तेमाल हम फ़ोन में टेम्पर्ड के रूप में करते है. लेकिन अब भी हम कभी ना टूटने वाले काँच को बनाने की तकनीक से काफी दूर है. वहीँ अगर हम इतिहास को देखें तो पाते है कि इस तकनीक को हजारों साल पहले ही पा लिया गया था, जी हाँ, रोमन इतिहास में एक ऐसे पदार्थ का जिक्र मिलता है जिसे Vitrum Flexile कहा जाता है. जिसके अनुसार 14 AD से 37 AD के बीच एक बार एक अनजान आदमी रोमन किंग Tiberius की सभा में आता है और दावा करता है कि उसके द्वारा बनाया गया काँच का घडा कोई नहीं तोड़ सकता. उस अनजान आदमी के दावे को खारिज करने के लिए काँच के घड़े को कई बार पटका गया और कई तरह से उसे तोड़ने की कोशिश की गयी. लेकिन काँच नहीं टुटा बल्कि वो मुड गया. ऐसे में उस अनजान आदमी ने काँच को हथौड़े से पीटकर फिर से उसे घड़े की शेप में ले आया. ये सब देखकर सम्राट Tiberius और सभा के बाकी सभी लोग हैरान थे और उन्होंने उस व्यक्ति से पूछा कि इस काँच को बनाने कि विधि किस किस को पता है. उस व्यक्ति ने जवाब दिया कि सिर्फ उसे ही इस विधि का पता है, उसके ऐसा कहते ही सम्राट ने उसका सिर धड से अलग करवा दिया. दरअसल सम्राट को डर था कि ये चीज सोने और चांदी की कीमत को गिरा देगी. इस तरह उस व्यक्ति के साथ ही ये आविष्कार भी लुप्त हो गया और हम आज तक इसे दोबारा नहीं बना पाए.
5 Prachin Lupt Avishkaar Jinhe Hum Dobara Nahi Bana Paye
5 Prachin Lupt Avishkaar Jinhe Hum Dobara Nahi Bana Paye
#3
Roman Concrete : 
दोस्तों, रोम में ऐसी कई इमारते है जो आज भी हजारों सालों से समय को मात देकर खड़ी है, इन इमारतों की बुनियाद और इनका अभिन्न अंग है इनमे इस्तेमाल हुआ कोन्क्रेट, लेकिन इनमे कोई सामान्य कोन्क्रेट इस्तेमाल नहीं हुआ था. जी हाँ, जहाँ आज के कोन्क्रेट सिर्फ 100-150 साल तक ही टिकते है वहीँ इन इमारतों में प्रयोग हुआ कोन्क्रेट हजारों सालों तक खड़े रहने के लिए ही तैयार किया जाता था और यही वजह है कि हजारों सालों में इतनी आपदाएं आने के बाद भी ये इमारते खड़ी है. कहा जाता है कि उस वक़्त कोन्क्रेट में ज्वालामुखी का राख भी मिलाया जाता है क्योकि ये राख दरारों को फैलने से रोकती है. लेकिन समय के साथ ही इस कोन्क्रेट को तैयार करने की असली विधि भी समय में ही खो गयी.

#4
Rust Free Iron
भारत के प्राचीन धातु विज्ञान का एक जीता जाता नमूना आज भी दिल्ली के क़ुतुब काम्प्लेक्स में स्थित है. जी हाँ क़ुतुब काम्प्लेक्स में एक ऐसा लोहे का खम्भा है जिसे करीब 1500 साल से भी पहले का बताया जाता है. इस खम्बे की ख़ास बात ये है कि ये इतने सालों के मौसम परिवर्तन और खुले में बने होने के बाद भी इसमें जंग का नामोनिशान तक नहीं है. ये खम्भा 24 फुट उंचा है और इसका वजन करीब 6 टन है. साथ ही इसपर ऑक्साइड की एक परत भी चढ़ाई गयी है और यही परत इसे जंग लगने से भी बचाती है. कहा जाता है कि इस खम्भे को गुप्त साम्राज्य में उदयगिरी में स्थापित किया गया था और फिर वहां से इसे दिल्ली लाया गया था. लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि हम आज भी इस तरह के लोहे को नही बना पाए है जो पूरी तरह जंगरोधी हो.
5 Ancient Lost Inventions Which we Could not Make Again
5 Ancient Lost Inventions Which we Could not Make Again
#5
Archimedes Ray Weapon :
ग्रीस के विख्यात गणितज्ञ Archimedes ने 212BC में एक ऐसा हथियार का निर्माण किया था  -जो सूरज की किरणों को दुश्मनों के जहाज़ों पर रिफ्लेक्ट कर उन्हें जला देता था. कहा जाता है कि इस हथियार में कई बड़े दर्पणों का इस्तेमाल होता था लेकिन फिर भी अनेक लोगों का मानना है कि इस तरह का हथियार बनाना संभव नहीं है क्योकि इस हथियार से किसी भी चीज को जलाने में काफी समय लगेगा और इसका इस्तेमाल करने के लिए अनुकूल प्राकृतिक परिस्थितियों का होना भी जरुर है. इसीलिए इस हथियार को कुछ लोग सिर्फ काल्पनिक कहानी भी बताते है. परन्तु MIT के छात्रों ने इस एक्सपेरिमेंट को करके देखा और उन्हें कई दर्पणों का इस्तेमाल करके एक छोटी नाव में आग लगाने में सफलता भी मिली.

तो दोस्तों ऐसी ही रहस्यमयी और चौका देने वाली जानकारियों को लगातार पाने के लिए आप हमारे साथ बने रहे और कमेंट के जरिये अपने सुझाव और विचार भी जरुर साझा करें.

Wednesday 22 March 2017

सजा देने के 10 रोंगटे खड़े कर देने वाले तरीके मध्ययुग में | Sajaa Dene ke 10 Rongte Khade Kar Dene Vale Tarike Madhyayug Mein | Top 10 Most Brutal Torture Methods Techniques of Medieval Times

सजा देने के 10 रोंगटे खड़े कर देने वाले तरीके
दोस्तों आज लगभग हर देश में लोकतंत्र स्थापित है, पूर्व परिभाषित दंड संहिता है और एक विधि के द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही अपराधी को सजा दी जाती है लेकिन मध्ययुग में ऐसा नहीं था उस वक़्त सजा देने को एक वैध तरिका माना जाता था और विक्टिम से उसके जुर्म को काबुल करवाने और उसको दंड देने के लिए ऐसे हथियारों व तरीकों को अपनाया जाता था जिन्हें जानकार आपके रोंगटे खड़े हो जायेगे. लेकिन उस वक़्त के हथियारों से ज्यादा खतरनाक उन हथियारो को बनाने वाले की सोच थी. क्योकि इन सजा देने वाले हथियारों के डिजाईन को देखकर ही पता लगता है कि उसे सजा देने में बहुत ख़ुशी मिलती होगी और यही वजह है कि मध्ययुग को सबसे बर्बर युग भी माना जाता है. आज हम आपको सजा देने के 10 ऐसे ही तरीकों के बारे में बताएँगे जो आपकी रूह को काँपने पर मजबूर कर देंगे. 
सजा देने के 10 रोंगटे खड़े कर देने वाले तरीके मध्ययुग में
सजा देने के 10 रोंगटे खड़े कर देने वाले तरीके मध्ययुग में

#1
The Brazen Bull :
प्राचीन ग्रीस में सजा देने के लिए The Brazen Bull का इस्तेमाल किया जाता था. इसमें सजा देने के लिए सबसे पहले पीतल को पिंघलाकर अंदर से खाली एक बूल को बनाया जाता था, जिसके साइड में एक गेट भी बनाया जाता थाफिर इस बूल को तब तक गर्म किया जाता था जब तक कि ये लाल ना हो जाए और उसके बाद साइड वाले गेट से अपराधी को इसके अंदर डाल दिया जाता था. पीतल के बने इस बूल में एक ऐसा डिवाइस भी लगाया जाता था जो अपराधी कि आवाज़ को बैल कि आवाज में बदल देता था और जब अपराधी अंदर तड़पकर चिल्लाता था तो ऐसा लगता था मानो बैल दर्द से कराह रहा है.

#2
The Saw Torture :
अपराधी को घोर या गंभीर जुर्म करने पर ये सजा दी जाती थी. सजा देने के इस तरीके में अपराधी के पैरों को दो खम्भों से बाँधकर उलटा लटका दिया जाता था. अपराधी को उलटा इसलिए लटकाया जाता था ताकि उसके सिर में ज्यादा समय तक ब्लड सप्लाई होती रहे और वो ज्यादा देर तक दर्द में तड़पता रहे. उसके बाद शुरू होता था मौत का खेल : मतलब दो आदमी एक बड़ी आरी से उसको बीच में से काटना शुरू करते थे और उसके दो हिस्से कर देते थे. कई बार तो अपराधी को आधा ही काटा जाता था ताकि वो दर्द में कराहता रहे और उसे अधिक पीड़ा सहनी पड़े.

#3
The Impalement :
15वीं शताब्दी में Vlad 3rd Wallacia का राजकुमार हुआ करता था क्योकि वो बहुत निर्दयी था इसीलिए उसे ड्रकुला के नाम से भी जाना जाता है. अगर एक बार किसी का जुर्म सिद्ध हो जाता था तो वो हुक्म देता था कि एक धारदार मोटे पॉल को अपराधी के शरीर के आरपार कर दिया जाए. तो अपराधी को बाँधकर जबरदस्ती इस पॉल पर बैठाया जाता था और धीरे धीरे वो पॉल उसके शरीर को चीरता हुआ पार निकाल दिया जाता था. सजा देने वाले कि कोशिश ये होती थी कि पॉल विक्टिम कि ठोढ़ी पर अटक जाए और ठोढ़ी कि हड्डी को तोड़ता हुआ बाहर निकले ताकि उसे अधिक देर तक दर्द सहना पड़े. कहा जाता है कि Vlad ने अपने शासनकाल में 2 लाख से भी ज्यादा लोगों को ये सजा सुनाई थी और उसे खाना खाते वक़्त ये सब देखने में ख़ुशी मिलती थी. इन सबसे ये पता चलता है उस वक़्त वहशियत किस कद्र सिर चढ़कर बोलती थी.

#4
The Rat Torture :
The Rat Torture सजा देने का सबसे वहशी तरिका हुआ करता था. इसमें कुछ जंगली चूहों को एक पिंजरे में बंद करके विक्टिम के पेट पर बाँध दिया जाता था और फिर पिंजरे के दूसरी तरफ आग लगा दी जाती थी. अब क्योकि चूहें आग से दूर भागते है इसलिए वे अपराधी के पेट कि तरफ भागते और उसके पेट को नोचकर उसके पीट में छिप जाते. इस तरह अपराधी दर्द से कराहता, चीखता हुआ अपने दम तोड़ देता था. 
Sajaa Dene ke 10 Rongte Khade Kar Dene Vale Tarike Madhyayug Mein
Sajaa Dene ke 10 Rongte Khade Kar Dene Vale Tarike Madhyayug Mein

#5
The Wooden Horse or Judas Cradle :
यातना देने के सबसे खतरनाक तरीकों में से एक The Wooden Horse का इस्तेमाल स्पेन में इंटेरोगेशन के दौरान किया जाता था. The Wooden Horse लड़की से बना V शेप का एक उपकरण था जिसमें ऊपर नुकीली कीले भी लगी होती थी. सजा देने के लिए सबसे पहले विक्टिम को नग्न किया जाता था और फिर उसके हाथ बांधकर इस डिवाइस पर बैठा दिया जाता था. उसके बाद सजा देने वाला अपराधी के पैरों में वजन को तब तक बढाता रहता था जब तक कि ये डिवाइस उसे बीच में से नाक काट दे या अपराधी पूछे सवालों का सही जवाब ना दे दे. 

#6
The Breaking Wheel :
अपराधी को धीमी मौत देने के लिए The Breaking Wheel or Catharine Wheel का इस्तेमाल किया जाता था. सजा देने के इस तरीके में अपराधी को एक बड़े से लकड़ी के व्हील पर बाँध दिया जाता था और फिर व्हील को घुमाया जाता. जैसे जैसे व्हील घुमाता वैसे वैसे सजा देने वाला अपराधी पर हथौड़े से वार करता और उसकी हड्डियों को कई जगह से तोड़ देता. फिर उसे इसे हालत में वहीँ छोड़ दिया जाता ताकि चील कौए उसको खा सके. इस तरह अपराधी को मरने में कई दिन लग जाते थे और तब तक वो वहीँ तड़पता और कराहता रहता. लेकिन कई बार आम जनता के कहने पर उसके दिल पर प्रहार करके उसके प्राण ले लिए जाते थे और फिर उसे चील कौओ के लिए छोड़ा जाता था. 

#7
The Garrote Torture :
स्पेन में 150 सालों तक मौत की सजा देने के लिए इस खौफनाक तरीके को अपनाया जाता था. इसमें सबसे पहले अपराधी को एक कुर्सी पर बैठाया जाता था जिसे Garrote Device भी कहते थे और फिर उसकी गर्दन को पीछे करके लौहे के एक पट्टे में बाँध दिया जाता था, उसके बाद सजा देने वाला कुर्सी में लगे लीवर को टाइट करने लगता जिससे अपराधी की गर्दन कि हड्डी टूट जाती, उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगती और वो तड़प तड़पकर अपना दम तोड़ देता था. 

#8
The Head Crusher :
स्पेन में विक्टिम को सजा देने के लिए उसके सिर को ही उड़ा दिया जाता था, जी हाँ और इस काम को करने के लिए वे The Head Crusher का इस्तेमाल करते थे. दरअसल ये एक टोपी कि तरह दिखने वाला डिवाइस होता है जिसे अपराधी के सिर पर पहनाया जाता है और फिर इसमें लगे लीवर को घुमाया जाता. जैसे जैसे लीवर घूमता वैसे वैसे टोपी का आकार छोटा होता जाता और टोपी खोपड़ी को जकड़ती जाती. कुछ देर बाद अपराधी कि खोपड़ी एक झटके के साथ टूट जाती और उसकी उसी वक़्त मौत हो जाती थी. 

#9
The Iron Chair of Torture :
मध्ययुग में अपराधियों को टार्चर करने के लिए काल कोठरियों में एक लोहे की कुर्सी का भी इस्तेमाल किया जाता था, जिसे The Iron Chair of Torture कहते थे. इस कुर्सी में 500 से 1500 लोहे कि कीलें और इसमें नीचे आग भी लगाई जा सकती थी. सजा देने के लिए अपराधी को इस कुर्सी पर टाइट बाँध दिया जाता था ताकि कीलें उसके माँस में अंदर तक घुस जाएँ. लेकिन इस तरह उसके वाइटल ओर्गंस सुरक्षित रहते थे जिससे उनकी मौत नहीं होती थी. पर ये भी एक सोची समझी चाल ही हुआ करती थी ताकि अपराधी को ज्यादा दिनों तक तडपाया जा सके. ये कुर्सी मानसिकता पर भी असर करती थी और नये अपराधी तो पुराने अपराधी कि हालत देखकर ही अपना जुर्म काबुल कर लेते थे.
Top 10 Most Brutal Torture Methods Techniques of Medieval Times
Top 10 Most Brutal Torture Methods Techniques of Medieval Times

#10                                 
The Coffin Torture :
The Coffin Torture मध्ययुग में सजा देने का सबसे पसंदीदा तरिका माना जाता था. इसमें अपराधी को उसके आकार के लोहे के पिंजरे में बंद करके नगर के गेट या चौराहे पर तब तक के लिए लटका दिया जाता था जब तक कि चील कौए उसके मांस को खा खाकर उसके कंकाल को ना छोड़ दें. अगर दर्द बढ़ाना होता था तो पिंजरे के आकार को छोटा कर दिया जाता है. इस तरह अपराधी कई दिनों तक तड़पता रहता था और सभी उस दिल दहला देने वाले नज़ारे को देखते रहते थे. 

मध्यकाल में ये सब उपाय दुश्मनों, विद्रोहियों और अपराधियों को सजा देने के लिए इस्तेमाल किये जाते थे. इनकी बर्बरता को देखकर उस वक़्त के लोग खौफ में जीते थे और उनकी अपराध करने कि हिम्मत तक नहीं होती थी और यही बात उस काल सबसे दर्दनाक और दहशत भरा बनाती है.

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Monday 6 March 2017

अजीब अनसुलझे रहस्य लेकिन 100% सच | Ajib Ansuljhe Rahasya Lekin 100% Sach | Strange Unsolved Mysteries But 100% True

अजीब अनसुलझे रहस्य लेकिन 100% सच | हमारे आज में ही है कल के जवाब
दोस्तों आपने भी सूना होगा कि हिस्ट्री अपने आप को दोहराती है या समय का पहिया गोल है. अगर इस बात को सच माना जाए तो समय के साथ हम समय के पहिये के एक पॉइंट पर दोबारा जरुर पहुँचते है. मतलब जो पहले हो चूका है हम फिर वहीँ पहुँच जायेंगे और जो अब होगा वो फिर से बीती बात बन जायेगी और फिर से उसे दोहराया जाएगा. इस तरह हम अपने आज में ही बीते हुए कल के अनसुलझे सवाओं के जवाबों को ढूंढ सकते है. आप डायनासोर का ही उदाहरण ले सकते हो, वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर डायनासोर का DNA मिल जाए तो दोबारा से उन्हें अस्तित्व में लाया जा सकता है और इस तरह धरती पर एक बार फिर डायनासोर होंगे.

आज हम आपको ऐसे ही तथ्यों के बारे में बताएँगे, जिनको जानकर आप भी मान जाओगे कि जो अब हो रहा है वो पहले भी हो चुका है. इन झलकियों को देखकर आपको लगेगा कि धरती अपने आप को दोहरा रही है.
अजीब अनसुलझे रहस्य लेकिन 100% सच
अजीब अनसुलझे रहस्य लेकिन 100% सच

God in Spaceship
बाइबिल के अनुसार जब गॉड धरती पर आये थे तो वे एक ऐसे पहाड़ से आये थे जिसमें से धुँआ और आग निकल रही थी. साथ ही बाइबिल में ये भी लिखा है कि उस पहाड़ में से झरने के जैसी आवाज भी आ रही थी. अब इन बातों से ये अनुमान लगाया जा सकता है कि गॉड किसी बड़े स्पेसशिप में आये थे और उन्होंने धरती पर वर्टीकल लैंड किया होगा. क्योकि आपने भी देखा होगा कि आज के स्पेसशिप भी जब टेकऑफ या लैंड करते है तो उनमे से भी आग और धुँआ बहुत निकलता है साथ ही इनमे से भी झरने के जैसी आवाज आती है और इनमे एस्ट्रोनॉट ट्रेवल भी करते है. अब हम सब तो स्पेसशिप के बारे में जानते है लेकिन खुद सोचों कि जब उस वक़्त के आदिवासी लोगों के सामने ऐसा हुआ होगा और उनके सामने एस्ट्रोनॉट उस आग में से निकले होंगे तो उन्हें तो यही लगा होगा कि इस तरह भगवान आये थे और  ऐसा ही उन्होंने अपने Scriptures में लिखा और दीवारों व मूर्तियों पर छापा.

Proofs of Ancient Astronauts :
हजारों साल पुरानी ऐसी कुछ मूर्तियाँ भी मिली भी है जिनमे हमारे पूर्वजों ने दिखाया है कि भगवान जब आये थे तो वे किस तरह दीखते थे. उन मूर्तियों को देखकर कोई भी इस बात का अंदाजा लगा सकता है कि वे मूर्तियाँ आज के एस्ट्रोनॉट के जैसी दिखती है. इससे ये सिद्ध होता है कि हजारों साल पहले भी एस्ट्रोनॉट हुआ करते थे और वे उस वक़्त भी उस तकनीक के बारे में जानते थे जिनके बारे में आज हम जान रहे है या यूँ कहें कि हम उस वक़्त कि तकनीक को दोहरा रहे है.

अब आप सोच रहे होंगे कि अगर स्पेसशिप और रोकेट थे तो प्लेन भी जरुर रहे होंगे. तो हाँ और इस बात का साबुत साउथ अमेरिका के कोलंबिया में मौजूद हैजहाँ धातु की बनी कुछ ऐसी चीजें मिली है जो दिखने में बिलकुल आज के सामान्य और लड़ाकू विमान की तरह दिखाई देते है. माना जाता है इन आकृतियों को कुम्बिया सभ्यता ने आज से हजारों साल पहले बनाया था. आज के वैज्ञानिकों ने उन आकृतियों के बड़े मॉडल बनाये और उनमे इंजन लगाया ताकि ये जाना जा सके कि क्या वे सच में उड़ सकते है? वैज्ञानिकों के इस एक्सपेरिमेंट ने उन्हें हैरान कर दिया क्योकि उन आकृतियों के वे बड़े मॉडल उड़ सकते थे.

सिर्फ कुम्बिया सभ्यता ही नहीं बल्कि Egypt के एक मंदिर में भी कुछ ऐसी नक्काशी मिली है जिसमें आप साफ़ साफ़ हेलीकाप्टर, नाव, छोटे जहाज और पनडुब्बी देख सकते हो. इस मंदिर की ये नक्काशियाँ भी हजारों साल पुरानी है. 

इनके अलावा कुछ सभ्यता ये दावा करती है कि भगवान किसी उडती हुई पारदर्शी गोलकार चीज में बैठे धरती पर आये थे. हालाँकि उन सभ्यताओं के पास इसके चित्र मौजूद नहीं है लेकिन अगर हम आज के हेलीकाप्टर में बैठकर ऐसे लोगों के सामने जाएँ जो हमारी तकनीक से हजारों साल पीछे हो तो उन्हें वैसा ही लगेगा जैसा उस वक़्त की सभ्यता के लोगों को लगा.
Ajib Ansuljhe Rahasya Lekin 100% Sach
Ajib Ansuljhe Rahasya Lekin 100% Sach

Runways of God’s Plane and Spaceship :
सिर्फ रोकेट, स्पेसशिप, प्लेन और हेलीकाप्टर ही नहीं बल्कि इनके रनवे भी मिले है. जी हाँ दक्षिण अमेरिका में ऐसे हजारों साल पुराने रनवे मिले है जिन्हें नाजका लाइन्स के नाम से जाना जाता है, इन लाइन्स में से बहुत सी लाइन रनवे की तरह दिखती है.

Antikythera Mechanism and Ancient Laptop Proof :
अब आपको ले चलते है ग्रीस के एक आइलैंड एंटीकायठेरा पर, जहाँ सन 1901 में एक डूबे हुए जहाज का मलबा मिला. इस मलबे से एक ऐसा लकड़ी का बक्सा मिला जिसमें आज से हजारों साल पुराना एनालॉग कंप्यूटर भी मिला. इस कंप्यूटर को बाद में एंटीकायठेरा मैकेनिस्म का नाम दे दिया गया. कहा जाता है कि ग्रीक के वैज्ञानिकों ने उस समय में इस कंप्यूटर को तैयार किया था. सिर्फ कंप्यूटर ही नहीं बल्कि हजारों साल पहले लैपटॉप भी हुआ करते थे. जी हाँ, कैलिफ़ोर्निया के मलिबू के Jay Paul Getty Museum में एक ऐसी ऐतिहासिक मूर्ति मिली है जिसमें एक महिला बैठी हुई है और उसके सामने एक छोटी लड़की एक ऐसे बक्से को लेकर कड़ी है, जिसे वो महिला खोल रही है. इस मूर्ति को देखने पर लगता है कि वो बक्सा एक लैपटॉप है और वो महिला लैपटॉप की स्क्रीन को देख रही है. इस तस्वीर में सबसे रोचक बात ये है कि उस बक्से में नीचे 2 छेद भी दिए हुए है जैसेकि वे USB पोर्ट हो.

Nuclear Explosion in Ancient Times :
अब जब इन सभी तथ्यों को जोड़ दिया जाए तो आप पाओगे कि जो आज हो रहा है वो तो आज से हजारों साल पहले भी हो चुका है और अब समय एक बार फिर से खुद को दोहरा रहा है. लेकिन अब ये सवाल उठता है कि अगर पहले भी ये सब चीजें थी तो वो कहाँ गयी. इसका जवाब भी हमारे आज में ही है, जी हाँ जिस तरह आज हमारे पास एटम बम है ठीक इसी तरह हजारों साल पहले भी ऐसे घातक हथियारों हुआ करते थे जो पल भर में ऐसी तबाही ला सकते है जिसके बाद कुछ भी ना मिले. इस बात के तथ्य भी मिले है, एक शोध के अनुसार तो आज से 60 हजार साल पहले एक ऐसा नुक्लीयर एक्सप्लोजन हुआ था जिसके कारण हरप्पा और मोहनजोदड़ो जैसी विशाल सभ्यताएं खत्म हुई थी. आज भी वहाँ उस नुक्लीयर एक्सप्लोजन के रेडिएशन को नापा जा सकता है. ऐसे ही हथियारों का जिक्र महाभारत और विश्वभर के ग्रंथों में मिलते जो एक ही बार में सब कुछ खत्म कर सकते थे.

May be Pyramids are Time Capsule
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ही कुछ वैज्ञानिकों ने आज के सभी तथ्यों को टाइम कैप्सूल के जरिये धरती के नीचे (Steinbach Time Capsule) छिपा दिया है माना जाता है कि ये टाइम कैप्सूल नुक्लीयर एक्सप्लोजन को भी झेलने में सक्षम है और आज के तथ्य सुरक्षित बच जायेंगे.
Strange Unsolved Mysteries But 100% True
Strange Unsolved Mysteries But 100% True

अब जब हम ऐसा सोच सकते है तो क्या हजारों साल पहले के आधुनिक वैज्ञानिकों ने ऐसा नहीं सोचा होगा
? लेकिन अब नया सवाल ये आता है कि आखिर उनका टाइम कैप्सूल कहा है जहाँ उन्होंने अपने तथ्यों को सुरक्षित और युद्ध के एरियाज से दूर रखा होगा. ऐसे में सबसे पहले पिरामिड की याद आती है क्योकि वे भी ऐसी जगह बने हुए है जहाँ कोई आबादी नहीं है और कहा तो ये भी जाता है कि पिरामिड पर भी नुक्लीयर एक्सप्लोजन का कोई असर नहीं होगा. तो क्या पिरामिड भी टाइम कैप्सूल है?

इन सब बातों से ये निष्कर्ष निकलता है कि पहले भी विश्व युद्ध हुए है जिसमें सब कुछ नष्ट हो गया अगर कुछ बचा तो जंगलों के आदिवासी जिन्होंने सब कुछ देखा होगा या सूना होगा और शायद उन्ही आदिवासियों से हम विकसित हुए.

इसी तरह आज हमारे पास भी ऐसे हथियार है जो सब कुछ नष्ट कर सकते है और अगर एक बार फिर विश्व युद्ध हुआ तो सब कुछ खत्म हो जाएगा, फिर हजारों साल तक धरती पर सुनसान हो जायेगी.  हमारे अवशेष धरती में समा जायेंगे, टाइम कैप्सूल में तथ्य बंद पड़े रहेंगे और फिर से जंगलों और आदिवासियों से एक नयी सभ्यता जन्म लेगी. इस तरह एक बार फिर से समय के पहिये का एक चक्र पूरा होगा, फिर से एक अंत के बाद एक शुरुआत होगी, समय खुद को दोहराएगा और फिर से कल के ऐसे अनसुलझे सवाल होंगे जिनके जवाब उस नयी सभ्यता के आज में होंगे जैसे हमारे आज में छिपे है बीते हुए कल के जवाब. 

तो दोस्तों ऐसी ही रहस्यमयी और चौका देने वाली जानकारियों को लगातार पाने के लिए आप हमारे साथ बने रहे और कमेंट के जरिये अपने सुझाव और विचार भी जरुर साझा करें. 

Wednesday 1 March 2017

टाइम ट्रेवल करने वाले व्यक्ति प्रूफ के साथ | Time Travellers with Proof | Persons Travel Through Time with Proof | टाइम ट्रेवल की रहस्यमयी घटनाएं

टाइम ट्रेवल करने वाले व्यक्ति प्रूफ के साथ
दोस्तों समय एक ऐसी प्रक्रिया है जो निरंतर चलती है और हम भी समय के साथ आगे बढ़ते रहते है, लेकिन कोई भी ना तो समय की गति को बदल सकता है और ना ही उसे रोक सकता है. लेकिन एक सवाल हमारे मन में अनेकों बार बात आता है कि क्या कोई समय में पीछे या फिर भविष्य में आगे जा सकता है?

इस सवाल के जवाब में हर देश के वैज्ञानिक सालों से मेहनत और रिसर्च कर रहे है और अरबों रूपये तक खर्च कर चुके है, लेकिन आज भी इसी गुत्थी में उलझे हुए है कि क्या सच में टाइम ट्रेवल पॉसिबल है अगर हाँ तो कैसे?

टाइम ट्रेवल का विषय ही इतना ख़ास है कि इसपर दुनिया भर में अनेक फिल्में, टीवी शोज और पुस्तकें लिखी जा चुकी है. इसी बीच कुछ लोग ऐसे भी मिले है जो दावा करते है कि उन्होंने टाइम ट्रेवल किया है मतलब कि वे समय में आगे या पीछे गए है, यही नहीं उन्होंने इस बात के सबूत भी दिए है. इसके अलावा कुछ वैज्ञानिक ऐसे भी है जो ये कहते है कि उन्होंने टाइम ट्रेवल की गुत्थी को सुलझा लिया है किन्तु वे अभी अपने एक्सपेरिमेंट के नतीजों को आम जनता के सामने नहीं ला सकते.

आज हम आपको कुछ ऐसे ही लोगों से मिलायेंगे जो टाइम ट्रेवल को अनुभव करने का दावा करते है या फिर जिन्होंने टाइम ट्रैवलर को देखा है.

एक आदमी जो खुद से ही मिला :
The Men Who Just Met with an Older Version of Himself :
जी हाँHåkan Nordkvist का कहना है कि एक बार उनके किचन का नल खराब हो गया तो वो पानी के रिसाव को चेक करने के लिए पानी की कैबिनेट में अंदर चले गये. कैबिनेट के अंदर कुछ दूर चलने पर उन्हें दूसरी तरफ हकान को एक चमकदार रोशनी दिखाई दी. उन्होंने उस रोशनी की तरफ बढ़ने का फैसला किया. जैसे ही वे रोशनी में इंटर हुए उन्होंने महसूस हुआ कि वे फ्यूचर में पहुँच गये है.
टाइम ट्रेवल करने वाले व्यक्ति प्रूफ के साथ
टाइम ट्रेवल करने वाले व्यक्ति प्रूफ के साथ

अपने इंटरव्यू के दौरान उन्होंने अपनी इस घटना को बताते हुए दावा किया कि उनके किचन में एक वर्म होल था और वे उस होल से 2042 में पहुँच गये थे. यही नहीं उन्होंने कहा कि वो वहां भविष्य के हकान यानि के खुद से ही मिले थे
, उस वक़्त उनकी आयु लगभग 70 वर्ष हो चुकी थी. तो आइये अब हकान के इंटरव्यू की इस विडियो को देखते है.

हकान ने भविष्य के हकान से कुछ ऐसी पर्सनल बाते पूछी जो सिर्फ उन्हें ही पता थी, साथ ही उन्होंने अपने दाहिने हाथ के टटू को भी मैच किया जोकि बिलकुल उनके हाथ पर बने टटू जैसा था. लेकिन कुछ लोग उनके दावों को सिरे से नकारते है लेकिन हकान का कहना है कि लोग उनके बारे में चाहे कुछ भी कहे लेकिन उन्होंने इस घटना को जिया है इसलिए उन्हें लोगों के कुछ भी कहने की कोई परवाह नहीं है.

सर विक्टर गोडार्ड :
Sir Victor Goddard’s  Time Slip Adventure :
ब्रिटिश रॉयल एयर फ़ोर्स के एयर मार्शल सर विक्टर गोडार्ड 1935 में अपने ओपन कॉकपिट बायप्लेन में छुट्टियाँ मनाने के लिए स्कॉटलैंड से इंग्लैंड की तरफ जा रहे थे. रास्ते में उन्होंने स्कॉटलैंड के Drem Airfield को नोटिस किया जिसका रनवे बिलकुल उजाड़ हो चूका था, पहले रखने वाले शेड भी टूटे हुए थे, रनवे के दोनों तरफ घास ही घास थी और कुछ जानवर वहां घूम रहे थे.

छुट्टियाँ खत्म होने के बाद सर विक्टर इसी रूट से वापस आ रहे थे कि अचानक वहां एक तूफ़ान आ गया जिसके कारण सर गोडार्ड प्लेन से अपना नियंत्रण खोने लगे. लेकिन जैसे ही वे Drem Airfield के पास पहुंचे तूफ़ान अपने आप छट गया और अब जो उनके सामने नजारा था उसने सर विक्टर गोडार्ड को भोचक्का ही कर दिया क्योकि जिस Drem Airfield को कुछ दिन पहले उन्होंने उजाड़ देखा था उसका नजारा पूरी तरह से बदल चुका था. ऐसा लग रहा था कि Drem Airfield को फिर से बनाया गया है और वो भी नयी तकनीक का इस्तेमाल करके. उन्होंने देखा कि रनवे बिलकुल नया बना हुआ है, प्लेन को रखने वाले हेंगर भी बिलकुल नये थे, इसके अलावा वहां 4 प्लेन थे जिनकों पीले रंग से रंग गया था. इन 4 प्लेन में 1 मोनों प्लेन भी था लेकिन हैरत की बात ये थी कि उस वक़्त रॉयल एयर फ़ोर्स के पास मोनो प्लेन थे ही नहीं. यही नहीं उनका कहना था कि वहाँ ब्लू ड्रेस में कुछ लोग खड़े थे, इसमें भी अचम्भे की बात ये है कि उस वक़्त रॉयल एयर फ़ोर्स की ड्रेस का रंग भूरा हुआ करता था.
Time Travellers with Proof
Time Travellers with Proof

इन सब चीजों को देखकर सर गोडार्ड ने वहां अपने प्लेन को लैंड नहीं किया क्योकि उनको वो जगह बहुत ही रहस्यमयी लगी. वहां से निकलते वक़्त फिर वे एक तूफ़ान में फंसे और लेकिन इस बार सब सामान्य हो गया. सर विक्टर गोडार्ड जब वापस स्कॉटलैंड पहुंचे तो उन्होंने सभी को इस घटना के बारे में बताये लेकिन उनकी बात पर किसी को विशवास नहीं हुआ. लोगों का मानना था कि सर कहीं भटक गए थे. किन्तु सबसे अधिक चौका देने वाली बात तो ये थी कि इस घटना के 4 साल बाद
 Drem Airfield को फिर से Renovate किया गया, वहाँ हर प्लेन को पीला रंग किया गया, प्लेन को रखने के लिए नए शेड बनाये गये, मोनों प्लेन को भी फ़ोर्स में शामिल किया गया और ऑफिसर्स की ड्रेस का कलर भी नीला कर दिया गया. अब इतना सटीक संयोग होना कोई आम बात तो है नहीं तो क्या सर विक्टर गोडार्ड ने सच में टाइम ट्रेवल किया था?

फ़िलेडैल्फ़िया एक्सपेरिमेंट :
Philadelphia Experiment :
सन 1943 मेंUS Navy ने अपने एक USS Eldridge जहाज पर एक एक्सपेरिमेंट किया था. इस एक्स्पेर्मेंट को Philadelphia के नेवी यार्ड में ही किया गया. इस एक्सपेरिमेंट का लक्ष्य था कि एक ऐसी तकनीक खोजी जाए जिसकी मदद से US Navy बिना किसी सोनार और रेडार की पकड़ में आये एक स्थान से दुसरे स्थान पर पहुँच जाए.

माना जाता है कि इस एक्सपेरिमेंट में US Navy सफल भी हो गयी थी और उनका वो जहाज कुछ पहल में ही फ़िलेडैल्फ़िया के यार्ड से गायब मतलब टेलिपोर्ट होकर 700 मील दूर नोरफ़ॉल्क वर्जिनिया पहुँच गया था. लेकिन इस एक्सपेरिमेंट के परिणाम बहुत घातक निकले क्योकि कहा जाता है कि इस एक्सपेरिमेंट के दौरान जहाज के क्रू मेम्बेर्स ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया. कुछ जहाज के धातु में ही घुस गये, मतलब उन्हें देखने पर ऐसा लग रहा था की मानों वे जहाज के पिघले हुए धातु में घुसे व फंसे हुए हो. वहीँ कुछ ऐसे लोग भी थे जो गायब ही हो गये थे और उन्हें घटना के बाद भी कभी नहीं देखा गया.

लेकिन US Navy हमेशा से ही इस एक्सपेरिमेंट को नकारती आ रही है और कह रही है कि उन्होंने कभी ऐसा एक्सपेरिमेंट किया ही नहीं, पर कुछ लोग ऐसे भी है जिन्होंने कहा कि उन्होंने इस एक्सपेरिमेंट को अपने आँखों से देखा था.
टाइम ट्रेवल की रहस्यमयी घटनाएं
टाइम ट्रेवल की रहस्यमयी घटनाएं

द क्रोनिकल्स ऑफ़ बसिअगो :
The Chronicles of Basiago :
Sir Andrew D. Basiago ने सन 2004 में कुछ बेहद ही हैरान कर देने वाले तथ्यों का खुलासा किया और बताया कि वे US Govt. द्वारा संचालित एक सीक्रेट टाइम ट्रेवल प्रोजेक्ट का हिस्स रहे थे. इस सीक्रेट प्रोजेक्ट का नाम प्रोजेक्ट पेगासस Project Pegasus रखा गया था.

बसिअगो का कहना है कि जब वे 7 साल के थे तो उन्हें सन 1968 से लेकर 1972 के बीच कई बार समय में पीछे भेजा गया. यही नहीं उनका कहना है कई इस प्रोजेक्ट में उनके अलावा भी कई बच्चों को शामिल किया गया था.

एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि उन्हें सन 1863 में भी भेजा गया जहाँ अब्राहम लिंकन अपनी स्पीच भी दे रहे था. साबुत के तौर पर उन्होंने उस वक़्त की एक तस्वीर भी दिखाई. यही नहीं बसिअगो को कई बार लाइ डिटेक्टर मशीन से भी गुजरना पड़ा. लेकिन हर बार यही पाया गया कि वो सच बोल रहे थे.

तो दोस्तों ऐसी ही रहस्यमयी और चौका देने वाली जानकारियों को लगातार पाने के लिए आप हमारे साथ बने रहे.